About Me

My photo
delhi, India
I m a prsn who is positive abt evry aspect of life. There are many thngs I like 2 do, 2 see N 2 experience. I like 2 read,2 write;2 think,2 dream;2 talk, 2 listen. I like to see d sunrise in the mrng, I like 2 see d moonlight at ngt; I like 2 feel the music flowing on my face. I like 2 look at d clouds in the sky with a blank mind, I like 2 do thought exprimnt when I cannot sleep in the middle of the ngt. I like flowers in spring, rain in summer, leaves in autumn, freezy breez in winter. I like 2 be alone. that’s me

Thursday, September 15, 2011

अंदर-बाहर

अभी कुछ हफ्ते पहले शारिक साहब दिल्ली में थे। अपने ऑफिस की मीटिंग करने के बाद वो मुझसे मिलने आया। हम लोगों को थोड़ी खरीदारी करनी थी तो हम लोग एक मॉल में चले गए। मॉल में जाते ही पहले खाया-पिया फिर खरीदारी करनी शुरू  की। अक्सर हम दोनों जब साथ खरीदारी करने निकलते हैं तो शारिक खा-पीकर पहले फिट हो जाता है जिससे पूरी शॉपिंग के दौरान एनर्जी मिले। बहुत सारी शॉपिंग हुई उसमें मेरी कम उसकी ज्याद थी। घर के लिए भी कुछ सामान था, पर्दे, चादरें.....खैर उस दिन अच्छी शाम गुजरी। अच्छी शाम गुजरने से मतलब है किसी भी बात को लेकर हम दोनों की बहस नहीं हुई। शॉपिंग के बाद दोनों ही थक गए थे तो सोचा सीसीडी में बैठकर आराम से कॉफी पिया जाए। दोनों ही गए और अपनी-अपनी पसंद की कॉफी ऑडर की, इत्मीनान से बैठकर कॉफी पिया फिर मॉल से बाहर निकलने लगे। लेकिन घर जाने का मन दोनों का ही नहीं था। उसे दोबारा रात में लौटकर जयपुर जाना था। तो हम दोनों ही मॉल के बाहर बने चबूते में बैठ गए। यहां सीसीडी दिख रहा था, कुछ देर पहले अंदर हम-दोनों सीसीडी की जिस टेबल-कुर्सी पर बैठे थे अब वहां कोई और जोड आकर बैठा था। हम दोनों बातों में थे लेकिन दोनों का ही ध्यान अलग-अलग बार वहां जा रहा था। थोड्ी देर बाद बातें कब बंद हो गई हमें पता ही नहीं चला। अब हम चुपचाप उन लोगों को देख रहे थे। लड़का-लड़की ने अपने लिए कॉफी मंगाया फिर बात करने लगे। थोड़ी देर बाद लड़की ने लड़के को एक तोहफा निकालकर दिया। लड़के के चेहरे पर एकाएक मुस्कान आ गई। ये सब नजारा हम दोनों बाहर से बैठकर देख रहे थे। लड़के ने तोहफा खोला तो उसमें से एक घड़ी निकली, लड़के ने खुश होकर लड़की का हाथ चूमा... अभी मै इन दोनों को देखने में ही खोई हुई थी कि अचानक शारिक की आवाज आने लगी.... लेलो लेलो बेटा अब कुछ महीने बाद इसी घड़ी को दिखा-दिखाकर ताने मारे जाएंगे--पहले तो समय से पहले ही आते थे, अब दस मिनट का इंतजार भारी होता है, लंच में तुम्हारा फोन आता था अब तुम्हे फर्क ही नहीं पड़ता मैने खाना खाया या नहीं वगैरह..वगैरह..वगैरह...... शारिक की बात सुनकर मुझे भी हंसी आ गई। फिर शांत होकर चुपचाप एक बात बोला माही वक्त के साथ रिलेशनशिप मैच्योर हो जाता है बदलता नहीं है।

Thursday, September 1, 2011

....एक और अफसोस


तुम 1 सितंबर की वापसी की फ्लाइट बुक कर लो.. बस मै कुछ नहीं जानती। बर्थडे वाले दिन मेरे साथ रहना मैने कुछ प्लान किया है। 
- माही ऐसा नहीं हो सकता... मै ईद पर घर जा रहा हूं और मै ईद के अगले दिन वापस नहीं लौट सकता। 27 अगस्त को जाऊंगा और 3 सितंबर को ही लौटूंगा। तुम मेरा बर्थडे 3 को ही मना लेना। 
बस कुछ इसी तरह की बहस पूरा अगस्त मेरे और शारिक के बीच चली। ईद के लिए शारिक घर जा रहा था और मै उसे बस इतना रिक्वेस्ट करती रह गई कि जन्मदिन वाले दिन दिल्ली लौट आना, फिर हम जयपुर चले जाएंगे। लेकिन शारिक अपनी जिद में और जिद में मै भी कम नहीं हूं। पता था इतना लड़ाई झगड़ा करके भी उसका फैसला नहीं बदलेगा लेकिन फिर भी...... इतना झगड़ा हुआ जिसकी कोई हद नहीं। 27 की सुबह शारिक और काशिफ दिल्ली पहुंच गए। शारिक की दोपहर को फ्लाइट थी, मुझे पता था दिल्ली आने के बाद उसे जरूर मेरे ऊपर प्यार आएगा। लेकिन इस बार मेरा गुस्सा आपे से बाहर था, उसके जाने के करीब चार दिन पहले से मैने उससे बात करनी बंद कर दी थी। उस दिन सुबह से ही मैने फोन बंद करके रखा था, ऑफिस की छुट्टïी भी थी चाहती तो जाकर मिल सकती थी लेकिन मैने भी ठान ली थीए इस बार मुझे कॉम्प्रोमाइज करना ही नहीं है। 
खैर शारिक ने बहुत कोशिश की और आखिर फ्लाइट के टाइम से पहले एसएमएस कर दिया कि निकल रहा हूं। तकलीफ हो रही थी, पर मै पता नहीं मन ही नहीं हुआ। हमेशा से मै चाहती हूं कि शारिक घर और मुझे बैलेंस करके चले, लेकिन वो ऐसा कभी नहीं करता। घर पहुंचकर भी उसने बहुत बार फोन किया लेकिन मैने उठाया ही नहीं। कल ईद थी और आज उसका बर्थडे है । ये पहली ईद और बर्थडे है जब मैने उससे बात नहीं की है। बहुत सारे अफसोस है जिंदगी में एक और अफसोस सही।