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delhi, India
I m a prsn who is positive abt evry aspect of life. There are many thngs I like 2 do, 2 see N 2 experience. I like 2 read,2 write;2 think,2 dream;2 talk, 2 listen. I like to see d sunrise in the mrng, I like 2 see d moonlight at ngt; I like 2 feel the music flowing on my face. I like 2 look at d clouds in the sky with a blank mind, I like 2 do thought exprimnt when I cannot sleep in the middle of the ngt. I like flowers in spring, rain in summer, leaves in autumn, freezy breez in winter. I like 2 be alone. that’s me

Wednesday, November 30, 2011

काश कर ख्वाहिश पूरी हो जाए

कितना अच्छा होता ना अगर हमारी मन में छुपी हर छोटी-बड़ी ख्वाहिश पूरी हो जाती। दुनिया इतनी सुलझी होती जैसे की परियों की दुनिया हो, जिंदगी में मुश्किले कम होती और खुशियां ढेर सारी।  ये सब सोचते हुए लगता है जैसे छोटे बच्चों को सुनानी वाली कहानी हो लेकिन मन में जब सच में ये बातें चलती है तो थोड़े समय के लिए सचमुच दुनिया खूबसूरत नजर आती है।
आज दिन के समय कुछ ऐसा ही हुआ। ऑफिस में काम करते-करते जब थक गई तो ऑफिस के टेरेस पर चली गई। गुनगुनी धूप और ठंडी हवा अच्छी लग रही थी। मन की बेचैनी समझ नहीं पा रही थी कि इतने में फोन बजा, फोन शारिक का था। फोन उठाकर अभी बात हो ही रही थी कि घूम-फिरकर बात शादी पर पहुंच गई जिससे शारिक साहब थोड़ा हिचकिचाते हैं। फिर शारिक को मैने शर्मिला टैगोर और नवाब पटौदी की कहानी सुनाई कि कैसे एक कट्टïर मुसलमान परिवार में शर्मिला ने न केवल शादी की बल्कि खुद उस माहौल में ढलकर अपने तीनों बच्चों को इस्लामिक माहौल में बड़ा किया।
एक बार फिर दोनों में शादी की बात शुरू हो गई, ये बात होते ही मेरे मन में आता है कि ऊपरवाला मेरी ये ख्वाहिश पूरी कर दें फिर मेरे हाथ दुआ के लिए कभी नहीं उठेंगे। मैने शारिक को बोला इस्लाम में भी गैर मुस्लिम लड़की से निकाह जायज बताया है अगर को इस्लाम कबूल करे। शारिक ने पूछा इस्लाम कबूल करने के लिए भी बहुत नियम होते हैं और अगर तुम्हें वो सब करने पड़े तो क्या तुम कर पाओगी? अपने रीति-रिवाज छोड़कर अपना पाओगी सब? जितना आसान तुम सोच रही हो सब उतना ही मुश्किल होगा और जाहीरन तौर पर कुछ भी संभव ही नहीं है। हालांकि मै शारिक के इन सवालों का बहुत सहज उत्तर दिया लेकिन मन में एक बात कही कि तुमसे शादी मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश है और तुम हमेशा मेरे साथ रहो तो मै हर मुश्किल को पार कर लूंगी।

Monday, November 7, 2011

फिर एक दुआ....

अचानक तड़के आंख खुल गई, आंख खुलते ही अजान की आवाज कानों में गूंजी। जब आंख खुली तो उठकर बैठी फिर याद आया कि आज ईद है। एक अजीब सी सरसराहट दौड़ गई पूरे शरीर में कि कितना अच्छा इत्तेफाक है ईद में अजान सुनकर आंख खुली, वरना तो मम्मी के चिल्लाने पर भी नींद नहीं टूटती। मुझे इस्लामिक नियमों का तो नहीं पता लेकिन दिल ने दुआ जरूर की...
शारिक ईद के लिए दिल्ली में ही है, उसके और काशिफ के लिए ईद के कपड़े भी मैने यहीं से ले लिए थे। दोनों के लिए दो खूबसूरत रंग के कुर्ते खरीदे। ये सब करते हुए बहुत अच्छा लग रहा था। मन में बार-बार एक ही बात आती है कि ऊपर वाला हमेशा मुझे ये मौका दे। बहुत कोशिशों के बाद भी रिश्ता सही दिशा में नहीं जा पा रहा है। अब न तो उसके पास बहुत वक्त है और न मेरे पास। रात को आंख बंद करते वक्त और सुबह आंख खोलते वक्त एक ही दुआ करती हूं कि ऊपर वाला इस रिश्ते को धर्म से ऊपर कर दे और हम इसी तरह हर त्योहार एक साथ मनाएं।
..... आमीन